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लेखिका जोखा अल्हार्थी को मिला मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार - 2019

हाल ही में, ओमान की लेखिका जोखा अल्हार्थी को साल 2019 के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। पाठकों को बता दे की जोखा अल्हार्थी को उनकी किताब ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी ध्यान दे की अल्हार्थी ने यह पुरस्कार जीतकर ओमान में इतिहास रच दिया है। जोखा अरबी भाषा की पहली लेखिका हैं, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। बुकर पुरस्कार के जजों की समिति इस पुस्तक की इन्हीं खूबियों को विश्व के सामने लाना चाहती है। जोखा अल्हार्थी को बुकर पुरस्कार में जीत के रूप में पचास हजार पाउंड अर्थात 44 लाख रुपए से ज्यादा की रकम मिलेगी। उन्होंने इस रकम को अपने उपन्यास ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ की अनुवादक अमेरिका की मर्लिन बूथ के साथ बांटने का फैसला किया है। यह पुरस्कार ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ ने यूरोप और दक्षिण अमेरिका की पांच प्रविष्ठियों को पछाड़कर हासिल किया है। मैन बुकर पुरस्कार के बारे में :- # मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है। # यह आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिख

भारतीय संविधान सभा से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और जानकारी

भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था. ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने : (1)  कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई० में किया गया. (2)  संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे.  (3)  मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 ई० में संविधान सभा का चुनाव हुआ. कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिय चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्‍मीदवार निर्वाचित हुए. (4)  9 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित काउंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई. सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्‍यक्ष चुना गया. मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्‍कार किया और पाकिस्तान के लिए बिलकुल अलग